खिलाफत एक चुनावी प्रकिया है जो मुसलमानों की आपसी राय और आज़ाद रज़ामंदी से तय की जाती है । बल प्रयोग द्वारा वजूद में आने वाली सत्ता खिलाफत नहीं बादशाहत होती है। उस संगठन का सरबराह जिसके हाथ बेगुनाह शहरियों के खून से रंगे हों , किस तरह खलीफा बनने का दावा कर सकता है???